शुरू से ही यहां के लोगों के साथ भेद भाव होता रहा है। अशिक्षा तो थी ही। यहां आने वाले नेता इन्हे वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया। कभी जाति के नाम पर, कभी धर्म के नाम पर, कभी क्षेत्रवाद के नाम पर , कभी भाषा के नाम पर। ये लोग उतना पढ़े लिखे होते नहीं थे इसलिए नेता के चंगुल में फंस जाते थे। उन्हें विकास का मतलब ही पता नहीं था। वे सिर्फ अपने करिश्माई नेता को सदन में भेजते रहे। कभी झारखंड , उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ का विभाजन क्षेत्रवाद को लेकर हुआ। लेकिन यहां कब से और कहां तक हुआ ये आप भी जानते हैं। घोटाले भी इन्हीं राज्यों में हुए।