जो कांट्रेक्टर है वो कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए बाबु लोगों को खुश करता है . फिर वो अपनी ख़ुशी वापस आये इसलिए पैसेंजर की जेब कटता है ... सीधा गणित है ...
इसलिए बबुलोगों की जेब की 'सफाई' होनी चाहिए ....
मैंने तो देखा है की जो पैसेंजर एसी में तोलिया मिलता है वो भी वापस नहीं करते तो उसकी कीमत वो कामकरने वाले लड़कों की जेब से वसुलित जाती है ...
जो...
more... वेंडर्स और होकर्स घूमते है उससे टीटी , गीआर्पी कुछ ना कुछ कमिशन वसूलती है ...
केश नहीं तो 'इन काईंड' में ...
अब ऐसी छोटी छोटी भ्रष्टाचार से ही तो रेलवे के पेसेंजेर्स को भुगतना पड़ता है ....
पानी की बोतल हो या न्यूज़ पेपर , कोल्डड्रिंक हो या फ़ास्ट फ़ूड ... सब में एमआरपी से ज्यादा ही वसूलते है ...
और फिर सामूहिक भ्रष्ट लोग मंदिर में जाके दान पुन्य कर आते